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श्रीनाथजी व "सखा" के बीच "सेवक" बाधक नहीं बने ! ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ ★निस्वार्थ प्रेम, समर्पण, निष्काम सेवा व निश्छल खेल के साथ सुरक्षा का कार्य बृजवासी 611 वर्षों से श्रीनाथजी के लिए कर रहे है ! ★पूजा, पूजा प्रणाली निर्धारण, निस्वार्थ प्रेम व समर्पण सेवा मार्ग (पुष्टिमार्ग) का प्रचार प्रसार का कार्य वल्लभकुल को दिया, जिसे कुछ दशकों से उसकी पालना पूर्ण रुप से नहीं हो रही है ! ★आजकल वल्लभकुल स्वयं के कार्य पूर्ण रूप से नहीं करके, उल्टा बृजवासीयो के कार्यो मे अनाधिकृत कटौती कर रहे है ! ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ भगवान के कार्य में कभी विघ्न नहीं डालना चाहिए और न ही अपने पद का दुरुपयोग करना चाहिए। भगवान व भक्त के बीच जो बाधक बनता है, उसका पतन अवश्यंभावी है। ■■"भगवान व सखा" का सम्बंध ■■"भगवान व भक्त" से भी गहरा व प्रगाढ़ होता है ! कि भगवान व भक्त (बृजवासी - सखा) के बीच कभी बाधक न बनें। यह जानते हुए भी जो इस नियम को तोड़ता है, वह प्रभु का अत्यंत प्रिय (वल्लभकुल) होते हुए भी कठोर दंड का भागी होता है । जैसे भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय के साथ हुआ। सनकादि ऋषियों को भगवान विष्णु से मिलने के लिए रोकने पर इन दोनों द्वारपालों को श्रापवश पहले जन्म में हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष, दूसरे जन्म में रावण व कुंभकरण तथा तीसरे जन्म में कंस व शिशुपाल के रूप में जन्म लेना पड़ा और इनकी मुक्ति भी विष्णु भगवान के अवतार नरसिंह, श्रीराम व श्रीकृष्ण के हाथों हुई। ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ ★★जयश्रीकृष्ण★★ ■ ★★श्रीकृष्णार्पण★★ ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 10/08/2020 #dineshapna www.dineshapna.blogspot.com
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